kaaravaan gujar gaya, gubaar dekhate rahe

 

अपनी प्रेरक और भावपूर्ण कविता के लिए जाने जाने वाले प्रसिद्ध हिंदी कवि गोपाल दास नीरज की एक प्रेरक कविता यहां दी गई है:

**कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे**




वक्त ऐसा भी आता है जिन्दगी में,

हर मोड़ पर दुनिया बदल जाती है।

आगे बढ़ो तो रास्ते खुल जाते हैं,

रुको तो जंजीरें बन जाती हैं।


कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे,

लोग खुशियां ढूंढते रहे, हम उदास देखते रहे।

हिम्मत से हर मुश्किल को मात दी हमने,

फिर भी शिकवे शिकायतों में लगे रहे।


राहों में कांटे भी मिलेंगे, फूल भी खिलेंगे,

हर कदम पर इम्तिहान होगा, पर बढ़ते चलेंगे।

हौसलों की उड़ान से पार कर जाएंगे,

हर रुकावट को हम जीत जाएंगे।


वक्त का इंतजार न करो, चलो और बढ़ो,

हर पल में नयी मंजिलों की तलाश करो।

जो थककर बैठ जाते हैं, वही हार जाते हैं,

जो चलते रहते हैं, वही इतिहास बनाते हैं।


तो चलो उठो, और सपनों को पूरा करो,

हर दिन एक नई शुरुआत करो।

अपने हौसले की ताकत को पहचानो,

मंजिलें तुम्हारी हैं, बस तुम अपना काम करो।




यह कविता दृढ़ता, लचीलेपन और बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने के महत्व को खूबसूरती से दर्शाती है


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