Baarish pe kavita sumitranandaan pant

 यहाँ पर प्रसिद्ध हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत की "बारिश" पर आधारित कविता प्रस्तुत है:

 



बारिश

   

धरा पे फिर वही प्यार का मौसम आया,  

सजल सावन की बूँदों ने मन को भिगाया।  

हरियाली ने पहना नया चीर हरा,  

धरती ने फिर से श्रृंगार किया प्यारा।  


वृक्षों की डालियाँ झूम उठीं,  

पत्तों ने बूँदों का संगीत सुना।  

फूलों ने खोलीं अपनी पंखुड़ियाँ,  

बाग़-बगीचों में नया रंग चढ़ा।  


नदियों का जल भी नाच उठा,  

प्रकृति ने दिया नया राग सबको सुनाया।  

बच्चों ने फिर वही खेल खेले,  

बारिश की बूँदों में खुशी से भीगे।  


पंछियों ने गीतों का नया सुर बनाया,  

बारिश ने सबको नया जीवन दिलाया।  

ऐसी होती है बारिश की मस्ती,  

प्रकृति के संग सबका नाता जुड़ा प्यारा।  


- सुमित्रानंदन पंत

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