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कहाँ से चले थे — Hindi Urdu Emotional Life Poem with English Translation कहाँ से चले थे — एक भावनात्मक हिंदी-उर्दू कविता (with English) 📝 Hindi Poem author: प्रस्थान कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए, मंज़िल की तलाश में हम, मंज़िल भूल गए। सोचा था कि ख़ाली हाथ आया हूँ, कुछ कर जाऊँगा, लेकिन पीछे देखा — जो लिया, जो मिला — सब छूट गए। क्या पाया, क्या खोया... अब आगे कुछ नहीं, कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हम यहीं। ता उम्र मेहनत की, ता उम्र कोशिशों की, आज की इस दुनिया में, हम कहाँ खो गए? सोचता हूँ कि कुछ कर दिखाऊँ, लेकिन अब देखने वाला कोई है ही नहीं। क्या पाया, क्या खोया — खोया ही खोया, अब कुछ नहीं... ना प्यार मिला, ना प्यार दिया, ना इज़्ज़त मिली, ना इज़्ज़त दी। ना याद किया, ना याद किया गया — जैसे कोई था ही नहीं। मगर... फिर भी ये साँसें चल रही हैं, इस दिल में एक कोना अब भी जल रहा है। हर टूटे ख़्वाब के पीछे, एक नया सपना पल रहा है। हाँ, अब भी कुछ बाकी है, ज़िन्दगी की राहों...

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