Abhi nanhoga annt mera
अभी न होगा मेरा अन्त – A Famous Suryakant Tripathi Nirala poems सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का काव्य अभी न होगा मेरा अन्त अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसन्त अभी न होगा मेरा अन्त हरे-हरे ये पात डालियाँ, कलियाँ कोमल गात मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निद्रित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं द्वार दिखा दूँगा फिर उनको है मेरे वे जहाँ अनन्त अभी न होगा मेरा अन्त मेरे जीवन का यह है जब प्रथम चरण इसमें कहाँ मृत्यु है जीवन ही जीवन अभी पड़ा है आगे सारा यौवन स्वर्ण-किरण कल्लोलों पर बहता रे बालक-मन मेरे ही अविकसित राग से विकसित होगा बन्धु, दिगन्त अभी न होगा मेरा अन्त /